दूर खिसक जाय ये सफर! - घनश्याम ठक्कर (ओएसीस) |
Happy Valentine's Day ठहरुं तो पैर मे उलझ जाये मंझिल की कंटकमय बाडों का डर, मोटर के पहिये पर रास्ते समेटो, मगर रास्ते तो आखिर है रास्ते! ठहरुं तो पैर मे उलझ जाये मंझिल की कंटकमय बाडों का डर, लाखों यात्राओं के पदचिन्हों का संचय मेरी सीढ़ी के कदमों से भी कम. चल दूं तो मृगजल की भांति से, भ्रांति से, दूर खिसक जाय ये सफर! |
Published by - Oasis Thacker (Ghanshyam Thakkar) |
ભૂરી શાહીના કૂવા કાંઠે | જાંબુડી ક્ષણના પ્રશ્નપાદરે | આસોપાલવની ડાળે | ઓ રાજરે |
---|
Email: oasis1thacker@gmail.com |