शेरसिंह के कारनामे (१)
(हास्य.... लोक-चुटकुले)
घनश्याम ठक्कर (ओएसीस)
एक रात एक होल में पार्टी चल रही थी. एक दुबला-पतला युवान दिल खोल के नाच रहा था. इतने में एक हठ्ठा-कठ्ठा आदमी डंडा ले कर वहां आया. उसने पूछाः "यहां कोई शेरसिंह है?"
पतले युवान ने हंसते हंसते कहाः "जी हां, मैं ही शेरसिंह हूं"
आगंतुक पतले आदमी को डंडे से पीटने लगा. मजे की बात ये थी, कि जब उसकी पिटाई हो रही थी, वह जोर जोर से हंस रहा था.
मोटा आदमी पीटते पीटते थक गया, और 'फिरसे ऐसा मत करना' कह के चला गया.
जाने के बाद सब पूछने लगेः ''अरे भाई! वो आदमी जब तुमको पीट रहाथा, तब आप हंस क्युं रहे थे?''
पतला आदमी फिरसी हंस कर बोलाः "अरे साले को कैसा बेवकूफ बनाया. मै शेरसिंह हूं ही नहीं!!
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